हिंदुत्व कोई धर्म नहीं है, वह सिर्फ जीवन जीने की शैली है !!!

१३, अगस्त २०११, बैंगलुरू आश्रम

आज पूर्णिमा है और इसे रक्षा बंधन भी कहते हैं | आज कल जिसे हम फ्रेंडशिप डे कहते हैं और लोग एक दूसरे की कलाई पर फ्रेंडशिप बैंड को बांधते हैं, यह एक नया तरीका है परन्तु असल में यह एक पुरानी परंपरा का नया रूप है | सदियों से रक्षा बंधन पर राखी बाँधने की परंपरा रही है | बहनें अपनी भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और कहती हैं “मैं तुम्हारी रक्षा करूंगी और तुम मेरी रक्षा करो | पिछली पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा का पर्व था और आज की पूर्णिमा पर रक्षा बंधन हैं | इस तरह प्रत्येक पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के लिये समर्पित है | सबसे महत्वपूर्ण है कि आप जीवन का उत्सव मनाएं | यही महत्वपूर्ण है और भारत में कई उत्सव होते हैं | एक उत्सव समाप्त होता है और आपको नवीन उत्सव की तैयारी में जुटना पड़ता है | और अभी बारिश का मौसम है | प्राचीन काल में लोगो को घर पर कुछ अधिक करने के लिये नहीं होता था | बारिश के मौसम में फसल की कटाई नहीं होती है | जब बारिश आती है तब आप घर पर होते हैं | इसका भी उत्सव बनायें, विभिन्न किस्म के भोजन को बनायें और गान करें, एक दूसरे को शुभकामनायें दीजिये, और उनका अच्छा होने की कामना कीजिये | यह एक अत्यंत सुन्दर प्रथा है |
(प्रिय पाठकों सत्संग के दौरान श्री श्री रविशंकर द्वारा प्रदान किया हुआ ज्ञान का शेष भाग शीघ्र उपलब्ध करवाया जायेगा )
The Art of living
© The Art of Living Foundation