महत्वपूर्ण संवाद

१५
२०१३
जनवरी
बैंगलुरु आश्रम, भारत

प्रश्न : गुरुदेव , आज आर्मी दिवस है , कृपया क्या आप आर्मी या रक्षा सेना के बारे में बात कर सकते हैं ?

श्री श्री रविशंकर : भारतीय सेना दुनिया की सबसे उत्तम सेनाओं में से एक है, और इसका व्यवस्थापन बहुत बढ़िया है | उनका अनुशासन , उनकी संबद्धता, उनकी समरूपता और न्याय अपने आप में एक उदाहरण हैं | आर्मी के अफसरों ने अनुशासन को कितनी अच्छी तरह से निभाया है ! मैं चाहता हूँ कि इस देश के युवा भी आर्मी के जवानों की तरह अनुशासन अपनायें |

इन लोगों के व्यक्तित्व में आप देखेंगे , कि ईमानदारी है , दृढ़ता और स्फूर्ति है| सौभाग्यवश आर्मी की ट्रेनिंग ने ये सभी गुण , जैसे सहनशीलता ,आत्मसम्मान और दृढ़ता ये सभी इनके अंदर निहित किये हैं | इनमें काम करने के लिए और अनुशासन के प्रति बहुत प्रबल संकल्प होता है |

बहुत से देशों में एक या दो साल के लिए , युवाओं और समाज के पुरुषों के लिए एक अनिवार्य मिलिट्री र्ट्रेनिंग होती है | भारत में भी युवाओं के लिए किसी प्रकार की ट्रेनिंग होनी चाहिये | ऐसी किसी पहल में युवाओं को बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिये |
भारत के जवान और उनके परिवार निश्चित रूप से बधाई देने के योग्य हैं |इस मौके पर , हम उन जवानों के लिए शोक प्रकट करते हैं , जिनका हाल ही में पाकिस्तान द्वारा सिर कलम कर दिया गया | पाकिस्तानी सेना ने इन वीर सिपाहियों का इतनी घृणास्पद और कायरता से सिर काटा है , कि ऐसा काम करने के लिए उन्हें शर्म आनी चाहिये | इन दोनों योद्धाओं के परिवार अभी भी भूख हड़ताल पर हैं , वे उनके सिर वापिस चाहते हैं | उन परिवारों के साथ हमारी सहानुभूति और प्रार्थनाएँ हैं |

प्रश्न : प्रिय गुरुदेव , हम उन लोगों को क्या जवाब दें जो कहते हैं , ‘लोगों का धर्म परिवर्तन करने में क्या गलत है , यदि ऐसा करने से उन्हें बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलती हैं ?’

श्री श्री रविशंकर : महात्मा गाँधी ने कहा है कि शिक्षा और चंद रुपये देकर लोगों का धर्म परिवर्तन करना एक अपराध है | ये एक बहुत बड़ा अपराध है ,और हमें ऐसा कभी नहीं करना चाहिये |

हर व्यक्ति को अपना निर्णय लेने का अधिकार है , और आप किसी को भी अपना धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते |

आप क्यों लोगों का धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं ? वह इसलिए क्योंकि आप अपनी संख्या बढ़ाना चाहते हैं | और आप अपनी संख्या क्यों बढ़ाना चाहते हैं? क्योंकि आप राजनीतिक सत्ता चाहते हैं |

आप राजनीति के लिए लोगों का परिवर्तन कर रहे हैं , और सत्ता हासिल करने के लिए ये एक बहुत ही घटिया बात है | भगवान आपको कभी भी माफ नहीं करेगा |

धर्म-परिवर्तन करने से आप एक संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं , आप एक समाज की जनसांख्यिकी को नष्ट कर रहे हैं | ये बिल्कुल नहीं होना चाहिये ,और हमें इस पर रोक लगानी चाहिये |

ये कहने से , कि मेरा भगवान तुम्हारे भगवान से बेहतर है’ – ये एक तरह का आतंकवाद है | बल्कि , ये आतंकवाद का बीज है | इसलिए , जो लोग दूसरों का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे हैं , मैं कहूँगा कि वे आतंकवादी ही हैं , बस उनका भेष अलग है |

प्रश्न : यदि धार्मिक संस्थाएँ और गुरु हमें इसी तरह का व्यावहारिक ज्ञान देते रहें , जो हमारे प्रतिदिन के जीवन में लागू किया जा सके , जैसा कि आपने दिया है तब लोग एक दूसरे को और बेहतर समझ सकेंगे , और अपने जीवन में परिवर्तन का अनुभव कर सकेंगे | मैं सोचता हूँ , कि यदि ऐसा हो सके , तब आज समाज की अधिकतर समस्याएँ खत्म हो जायेंगी |
मैं सुदर्शन क्रिया करता हूँ और आपका अनुसरण भी करता हूँ | लेकिन मैं सभी गुरुओं और धर्मों का सम्मान करता हूँ | मैं मंदिर भी जाता हूँ और मस्जिद भी जाता हूँ |

श्री श्री रविशंकर : बहुत बढ़िया ! ऐसा ही तो होना चाहिये |

लोगों को धोखा देकर , उन्हें ज़बरदस्ती मंदिर भेजना , या फिर उन्हें नमाज़ पढ़ने के लिए मजबूर करना तो ठीक नहीं है | आज ज़रूरी है कि लोग आध्यात्मिकता को महसूस करें ; यह महसूस करें , कि भगवान एक ही है |हम एक ही भगवान के बच्चे हैं , और हमें उसी प्रेम को फैलाना है जो हमारे पास है , नफरत को नहीं |

यही बात मैं बार बार पाकिस्तान के लोगों को भी समझाता रहा हूँ | वहाँ के लोग भी अच्छे हैं | बल्कि आज ही मेरी उनसे बात हुई है | वहाँ हमारे ३ केन्द्र चल रहे हैं | लोगों ने सुदर्शन क्रिया करने के बाद इतनी खुशी महसूस करी है | उनके सभी दुःख , समस्याएँ खत्म हो गई हैं | और बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपना अनुभव बताया कि वे मुझसे अपने सपनों में मिले हैं ! अब पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है , लेकिन यदि आप ईरान भी जायेंगे , तो वहाँ भी आप लोगों के ऐसे ही अनुभव सुनेंगे |

क्या आप जानते हैं , कि ईरान में हमारे करीब ६०-६५ आर्ट ऑफ लिविंग के टीचर्स काम कर रहे हैं | वहाँ का वातावरण इतना कठोर और सख्त है , कि वे वहाँ योग और साधना करने की अनुमति नहीं देते | लेकिन जब वहाँ की धार्मिक पुलिस ने मेरी तस्वीर उन टीचर्स के घरों में देखी , जो खुद भी मुस्लिम थे , तब उन्होंने कहा , ‘ओह , गुरुदेव बिल्कुल हमारे पूर्वज की तरह दिखते हैं , जिनसे हमने सब कुछ सीखा है ! इनकी शक्ल हमारे धार्मिक गुरु के जैसी ही है , जिन्होंने हमें शिक्षा और दीक्षा दी |’ तब फिर उन्होंने भी हमारे काम को रोका नहीं , और उसे बिना किसी रोक-टोक के होने दिया |

वहाँ कितने सारे युवा आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं , और वे वापिस आकर कह रहे हैं , ‘हम जीवन में कितनी बड़ी चीज़ से वंचित थे ! यदि हमें ऐसे अनुभव अपने जीवन में बहुत पहले हो गए होते , तो आज हम ज्यादा खुश और समृद्ध होते | तब हमेशा के लिए पड़ोसियों के बीच होने वाले झगड़े समाप्त हो जाते | सारी नफरत खत्म हो जाती |’
ऐसे बहुत से धार्मिक नेता हैं , केवल मुस्लिम ही नहीं , बल्कि हिंदू भी , जो नहीं चाहते कि ये परिवर्तन हो | उन्हें लगता है कि यदि लोगों को ऐसे अनुभव होते रहे , तो उन्हें अपना धंधा बंद करना पड़ेगा |

हाँ , ये सच है !

हिंदुओं में भी ऐसे कुछ धार्मिक नेता हैं , जो वाकई में सुदर्शन क्रिया की बुराई करते हैं , और लोगों को धोखा देने के लिए कहते हैं कि इसका परिणाम अफीम के नशे जैसा होता है | वे लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग में जाने से मना ही करते हैं |
इसी तरह से मुस्लिमों में इमाम ये कहकर अपने लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स में भाग लेने से मना करते हैं , कि वह दूसरे धर्म के लोगों द्वारा किया जाता है | वे उनसे कहते हैं कि आपको आर्ट ऑफ लिविंग में धोखा दिया जाएगा , आपके साथ बेईमानी की जायेगी |

हमें ऐसे लोगों से निपटना पड़ेगा , और उनके खिलाफ़ लड़ना पड़ेगा , क्योंकि वे एक व्यक्ति की उन्नति और उत्थान को रोक रहे हैं |

ऐसा अभ्यास और ज्ञान , जो किसी भी व्यक्ति को खुशी और पूर्णता दे सकता है जो लोग इन्हें लोगों तक पहुँचाने में बाधा उत्पन्न करते हैं इन लोगों से हमें निपटना होगा | ये लोग ठीक काम नहीं कर रहे हैं , और उन्हें रोकना होगा |
ऐसा बिल्कुल मत सोचिये , कि ऐसी चीज़ें केवल मुस्लिमों में या ईसाईयों में होती हैं | यहाँ तक कि कुछ हिंदू नेता भी यही कर रहे हैं | ये बिल्कुल अज्ञानता वाली बात है | आर्ट ऑफ लिविंग में हम अपना प्रेम सबको उदारता से बाँटते हैं , और भगवान से प्रार्थना करते हैं , कि ऐसे लोगों को सदबुद्धी प्रदान करे |

प्रश्न : गुरुदेव , क्या देशवाद और आध्यात्मिकता एक साथ चल सकते हैं ? क्या आपको नहीं लगता कि हमारा देश प्रेम हमें विस्तृत होने से रोकता है ?

श्री श्री रविशंकर : नहीं, बिल्कुल भी नहीं | ये दोनों साथ में चल सकते हैं, और इनके बीच में किसी भी तरह का द्वन्द्व नहीं है l देखिये, आप एक लोकतंत्र का हिस्सा हैं | आप एक देश और उसके प्रजातंत्र में भागी हैं , इसलिए उस देश के मामलों में आपकी बात भी सुनी जानी चाहिये | और आपको चाहिये , कि आप खड़े हों , और अपने विचार व्यक्त करें| ऐसा करने से आपका सार्वभौमिक ऐक्य रुकता नहीं है , न ही आपकी भाईचारे के भावना पर कोई फ़र्क पड़ता है |

उदाहरण के लिए , मान लीजिए , कि आप एक समाज सेवक हैं | अब अगर आपके घर में कचरा पड़ा है , तो आपका पहला फ़र्ज़ है कि आप अपना घर साफ़ करें |

अब अगर आप मुझसे पूछेंगे , ‘यदि मैं अपना घर साफ़ करता हूँ , तो क्या ये मेरे सड़क की सफाई या बाक़ी सार्वजनिक जगहों की सफाई के आड़े नहीं आएगा ?’

मैं कहूँगा , ‘नहीं ! यदि आप दुनिया को साफ़ करने चले हैं , तो आपको खुद अपना घर भी तो साफ़ करना होगा |’

अपने घर को थोड़ा सा बड़ा विस्तृत कर दीजिए , और वह आपका देश बन जाता है , और फिर पूरी दुनिया में शान्ति फैलाना भी |

यदि आप किसी एक देश के वासी नहीं हैं , तो आप इधर उधर जाकर उस देश के भ्रष्टाचार के बारे में बात नहीं कर सकते | वहां के लोग आपसे कहेंगे ,‘कि ये हमारी अंदरूनी बात है | आप कौन होते हैं , कि यहाँ आकर हमसे ये पूछें ?’

आपको अपना खुद का घर साफ करने का हक है , मगर आप अपने पड़ोसी को ये नहीं कह सकते , ‘मैं आकर आपका घर साफ़ करूँगा | मैं आपके साथ अपनापन महसूस करता हूँ |’ वे आपसे कहेंगे , कि धन्यवाद , लेकिन आपका यहाँ स्वागत नहीं है | आप कृपया अपने घर में जाकर सफाई करिये , वही अच्छा होगा |’ आपके अपने घर में , आप जो करना चाहें , आपको पूरा हक है | लेकिन आप अपने पड़ोसी पर वही हक नहीं जता सकते |

अब अगर आपका पड़ोसी आपको न्योता देकर बुलाता है , ‘कृपया आईये ,मुझे आपकी मदद की ज़रूरत है | मेरे घर की सफाई करने में भी मदद करिये|’ तब आपको फ़ौरन कूदकर वहाँ जाना चाहिये , और वैसा करना चाहिये |

यदि आप किसी देश में पर्यटक हैं , और वहाँ के निवासी नहीं हैं , तब आप उस देश के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दे सकते | कानून के नज़रिए से भी ये ठीक नहीं है |

तो बस यहीं , भाववाचक और ठोस स्तरों में द्वन्द्व आता है |

भाववाचक स्तर पर , आप हर एक किसी से अपनेपन की भावना महसूस करते हैं | भावनाओं के स्तर पर , आप महसूस कर सकते हैं , ‘ओह , भारत ,पाकिस्तान , अमेरिका या यूरोप में क्या फ़र्क है ? मैं जहाँ भी जाता हूँ , मुझे लगता है कि ये मेरी ही जगह है | मैं पूरी तरह से घर जैसा महसूस करता हूँ|’

लेकिन उसी समय , आप हर जगह एक सा व्यवहार नहीं कर सकते | हर जगह की अपनी अलग आचरण संहिता होती है जिसका हमें पालन करना चाहिये |

प्रश्न : देशभक्ति की भावना कैसी होती है और क्या यह सार्वभौमिक भाईचारे के विपरीत है ? देशभक्ति की भावना को सार्वभौमिक भाईचारे में किस तरह विस्तृत किया जा सकता है ?

श्री श्री रविशंकर : एक सार्वभौमिक भाईचारा सबसे पहले आना चाहिये |
अब , हालाँकि आप पूरे ब्रह्माण्ड में भागीदार हैं , लेकिन आप निश्चित तौर से अपने देश में तो वोटर हैं | और जब आप अपने देश में वोटर हैं , तो आपकी अपने देश के प्रति जिम्मेदारी भी है | आप लोकल प्रेस के द्वारा अपनी ज़रूरतें और विचार व्यक्त कर सकते हैं , और आप कोई कदम भी उठा सकते हैं |

सार्वभौमिक रूप से , आप लोगों के बीच जागरूकता बढ़ा सकते हैं | आप अच्छे काम कर सकते हैं , और एक दोस्ती और करुणा की भावना से हर एक के लिए अच्छे की प्रार्थना कर सकते हैं |यदि आपको किसी अन्याय से लड़ने की ज़रूरत होती है , तो वह आप केवल अपने देश में ही कर सकते हैं | तो इस नज़रिए से , इन दोनों में कोई बैर नहीं है |

प्रश्न : गुरुदेव , मैं आध्यात्मिकता और धर्म के बीच खिंची रेखा को कैसे समझूं?

श्री श्री रविशंकर : सुनिए , जब आप इस मार्ग पर होते हैं , तब आध्यात्मिकता आपके अंदर पहले से ही होती है | आपको कोई रेखा खींचने की या मिटाने की दरकार नहीं है | बस सहज रहिये | यही जीवन का ढंग होना चाहिये |
आप जन्म से किसी धर्म के होते हैं , लेकिन आध्यात्मिकता को तो आपने चुना है |

प्रश्न : गुरुदेव , हिमाचल प्रदेश के युवाओं को नशे की लत पड़ती जा रही है जो कि आज बहुत बड़ी समस्या बन गयी है | कृपया बताईये , कि भौतिक समृद्धि अपने साथ बुराईयाँ लेकर क्यों आती है ? क्या मानवीय मूल्यों के अभाव में समृद्धि का कोई महत्व रह जाता है ?

श्री श्री रविशंकर : नहीं , बिल्कुल नहीं | ऐसी समृद्धि किसी काम की नहीं है|
यदि मानवीय मूल्य नहीं हैं , तब ये कहना निरर्थक है कि आप समृद्ध हैं |उदाहरण के लिए , यदि आपको नींद ना आने की बीमारी है , तो कितना भी अच्छा बिस्तर हो , उसका कोई फ़ायदा नहीं है |

उसी तरह , यदि आपके पेट में छाले हैं , और आप कुछ खा नहीं सकते , तब आपके सामने कितना भी अच्छा भोजन रखा होगा , उसका कोई अर्थ नहीं है| इसी तरह , यदि मानवीय मूल्यों की कमी है , तब जीवन का कोई मोल नहीं है | समृद्धि का कोई अर्थ नहीं है |

प्रश्न : गुरुदेव , क्या मोटापा भगवान का दिया हुआ है , या फिर हमारे ही कर्मों की सज़ा है ?

श्री श्री रविशंकर : भगवान आपको कोई न कोई काम तो देता है | तो अगर वह आपको मोटापा देता है , तो साथ ही आपको काम भी देता है , जिससे आप अपना वजन घटा सकें |आप बहुत चालाक प्रश्न पूछते हैं ! जब आपका मोटापा बना रहता है , तब आप आसानी से कह देते हैं , कि ये आपको भगवान ने दिया है |

इसीलिये , मैं कहता हूँ , कि अगर आप सोचते हैं कि भगवान ने आपको मोटापा दिया है , तो भगवान ने ही आपको मोटापा घटाने के लिए काम भी दिया है |

प्रश्न : गुरुदेव , जब किसी को दुःख और तकलीफ हो , तब उसे क्या करना चाहिए ?

श्री श्री रविशंकर : सब्र रखिये !

जब आप यहाँ आश्रम आते हैं , तब अपने सारे दुःख और परेशानियाँ यहाँ छोड़कर जाईये , और बस आगे चलिए | ऐसा कोई भी दुःख या तकलीफ नहीं है , जिससे छुटकारा न पाया जा सके | क्या आपने कभी भी कोई ऐसा बादल देखा है , जो कभी 
हिलता नहीं है , और एक ही जगह पर स्थायी बना रहता है? ऐसा असंभव है | उसी तरह , आपका दुःख और आपकी तकलीफें बादल की तरह हैं | कुछ बादल क्षण भर में ही गायब हो जाते हैं , जबकि कुछ को जाने में थोड़ा समय लगता है | लेकिन वे अवश्य जायेंगे , ये अनिवार्य है |